Note: इस Blog में Peridoic table या आवर्त सारणी क्या है इसको हम आसान भाषा में समझने का प्रयास करेंगे । ये वीडियो हिंदी माध्यम के विद्यार्थियों को ध्यान में रख के बनाया गया है | इसमें पीरियाडिक टेबल को एक आम आदमी की भाषा में समझने का प्रयास किया गया है |
नमस्कार दोस्तों, आज हम बात करेंगे पीरियाडिक टेबल या आवर्त सरणी की। इसमें सबसे पहले बात कर लेते है मेंडलीव के पीरियाडिक टेबल की। 1869 (१८६९) में एक Russian केमिस्ट Dimitri Mendeleev ने एक पीरियाडिक टेबल का प्रतिपादन किया जिसमे कुल ६० तत्त्व (Elements) थे, जिसे इन्होने "Zeitschrift fϋr Chemie" नामक पत्रिका में प्रकशित किया। मेंडलीव ने आवर्त सरणी में एलिमेंट्स का अरेंजमेंट उसी प्रकार से किया जैसे हम किसी बटखरे को उसके भार के हिसाब से अर्रंगे करते है। अर्थात तत्वों को उनके परमाणु भार (atomic mass) के बढ़ते हुए क्रम के हिसाब से उनका अरेंजमेंट किया। अब एक प्रश्न उठता है की पीरियाडिक टेबल होता क्या है। तो इसे पीरियाडिक इसीलिए कहते है क्यूंकि आवर्त सरणी में एक निश्चित अंतराल के बाद आने वाले तत्व उसी ग्रुप में मौजूद अपने से पहले उपस्थित तत्वों के गुणों से समानता रखते है। जैसे पोटैशियम और सोडियम, इन् दोनों के आधार भूत गुण सामान होते है, इसीलिए इन्हे एक हे ग्रुप में रखा गया है।
अब हम बात कर लेते है मॉडर्न पीरियाडिक टेबल या आधुनिक आवर्त सारणी की। मॉडर्न पीरियाडिक टेबल को हम एक स्टेडियम के उदाहरण से समझेंगे। अर्थात हाइड्रोजन और हीलियम को सबसे नीचे और बाकी एलिमेंट्स को ऊपर की तरफ रखेंगे। अब मान लीजिये पीरियाडिक टेबल एक स्टेडियम की तरह है जहा हाइड्रोजन और हीलियम सबसे नीचे की सीढ़ियों या ग्राउंड फ्लोर पे बैठे हैं। लिथियम से लेके नीयन तक के एलिमेंट्स उनके ऊपर वाले फर्स्ट फ्लोर पे बैठे है तथा सोडियम से लेके आर्गन तक के एलिमेंट्स उनके भी ऊपर सेकंड फ्लोर पे बैठे है। तो हाइड्रोजन (Hydrogen) से हीलियम (Helium), लिथियम (Lithium) से नीयन (Neon), तथा सोडियम (Sodium) से आर्गन (Argon) तक के हॉरिजॉन्टल सफर को हम रौ या पीरियड कहेंगे। इसके अलावा हाइड्रोजन से सोडियम तक के वर्टीकल सफर को ग्रुप कहेंगे।
अब हम इसको ऐसे समझ लेते है की जैसे स्टेडियम में फर्स्ट फ्लोर की परिधि ग्राउंड फ्लोर से ज्यादा होती है तथा सेकंड फ्लोर की परिधि फर्स्ट से ज्यादा होती है तो हम बस अपने समझने के लिए ये मान लेते है की जैसे जैसे हम ग्राउंड फ्लोर से ऊपर के फ्लोर की तरफ बढ़ेंगे उसमे बैठने वाले लोगो की संख्या भी बढ़ेगी। अर्थात ग्रुप में हम जब हम निचे से ऊपर की तरफ बढ़ेंगे अर्थात हाइड्रोजन से पोटैशियम या फ्रैनशियम की तरफ बढ़ेंगे तो उनमे प्रोटॉनों की संख्या भी बढ़ेगी। और चूँकि हम जानते है की जैसे किसी तत्त्व में उसके प्रोटॉनों की संख्या उसके एटॉमिक नंबर या परमाणु क्रमांक के बराबर होती है, उसी तरह मॉडर्न पीरियाडिक टेबल में भी तत्वों की उपस्थिति उनके एटॉमिक नंबर या परमाणु क्रमांक के बढ़ते हुए क्रम में ही होती है।
कृप्या इन्हे डिटेल्स में जानने के लिए ऊपर दिए गए वीडियो को जरूर देखे, धन्यवाद।
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